कम प्रयास में अधिक सफलता कैसे मिले
क्रिस बेली की किताब 'हायपरफोकस' ने अपने शीर्षक के अनुरूप ही पाठकों का ध्यान खींचा है। इसमें एकाग्रता कायम करने के लिए न केवल अद्भुत अंतर्दृष्टियां हैं, बल्कि क्रिस ने अपनी बातों के समर्थन में डाटा भी दिया है। यह हमारी आंखें खोल देने वाली कृति है।
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पहले 'अनफोकस' करें
हम क्यों इतनी जल्दी अपना फोकस गंवा बैठते हैं? ध्यान बंटाने वाली इस दुनिया में हम अपने इस हठी मन को कैसे किसी एक चीज पर एकाग्र कर सकते हैं? तब मल्टीटास्किंग का क्या होगा? और क्या अपने फोकस पर काबू पाना सच में ही मुमकिन है ? इन तमाम सवालों के जवाब मौजूद हैं, बस आपको उन पर थोड़ा गहराई से विचार करना होगा। मजे की बात यह है कि अपना फोकस बढ़ाकर अपनी क्रिएटिविटी और प्रोडक्टिविटी में इजाफा करने का सबसे बेहतरीन तरीका है अनफोकस करना! यानी हम जिन अनगिनत चीजों पर अपना ध्यान एकाग्र किए हुए हैं, वहां से अनफोकस करके अपनी प्राथमिकताओं पर केंद्रित होना।
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सफलता के तीन सूत्र
हायपरफोकस का सूत्र तीन बातों पर आधारित है। पहली अपने कार्यों का अच्छी तरह से परीक्षण करें। दूसरी, इसके बाद अपनी प्राथमिकताओं को तय करें। और तीसरी, काम में आने वाली रूकावटों को हाइपरफोकस से न्यूनतम स्तर पर ले आएं।
हमारे अटेंशन की मांग
किसी भी काम को अच्छी तरह से पूरा करने, पहले से ज्यादा क्रिएटिव बनने और एक सफल जीवन जीने के लिए हमारे पास जो सबसे ताकतवर रिसोर्स है, वह है हमारा अटेंशन समस्या यह है कि आज हमारे इस अटेंशन की जितनी मांग है, उतनी पहले कभी नहीं थी और इस कारण आज हम व्यस्ततम होने के बावजूद बहुत कम प्रोडक्टिव साबित हो पा रहे हैं। कारण है फोकस न होना।
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40 सेकंड का फोकस ?
आज हम जितने ध्यान बंटाने वाले व्यवधानों का सामना करते हैं, उतना मनुष्यजाति के इतिहास में इससे पहले कभी नहीं हुआ था। रिसर्च के मुताबिक आज हम बिना ध्यान बंटाए अपने कम्प्यूटर पर तकरीबन चालीस सेकंड ही लगातार काम कर पाते हैं। इसका यह भी मतलब है कि जब हम चालीस सेकंड से ज्यादा समय फोकस्ड होंगे तो ही अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकेंगे।
मल्टीटास्किंग यानी क्या?
मैंने शुरू में मल्टीटास्किंग को अपने के लिए एक प्रेरणादायक बात समझा था, लेकिन बाद में पाया कि वह उलझन से भरने वाली है। एक साथ कई काम करने की कोशिश में हम खुद को कोई एक महत्वपूर्ण काम करने से रोक देते हैं। जबकि एक बार में अपने लिए सबसे महत्त्वपूर्ण काम पर पूरा फोकस करने या हायपरफोकसिंग से ही हम अपना सबसे बेहतरीन संस्करण बन सकते हैं।
दो तरह की मनोदशाएं
हमारा दिमाग दो मनोदशाओं के बीच स्विच करता रहता है- पहली है हाइपरफोकस,
दूसरी है स्कैटरफोकस। पहली में हमारी एकाग्रता
बहुत सघन होती है, जबकि दूसरी में हम अधिक
क्रिएटिव और विचारशील होते हैं। सफलता के लिए इन दोनों मनोदशाओं का समुचित संतुलन
जरूरी है। कम से कम काम में अधिक से अधिक उत्पादकता ऐसे ही मिल सकती है।
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IND vs PAK:भारत ने पाकिस्तान को 7 विकटों से हराया, तीसरे मेच में हराया
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IND Vs NED भारत ने नीदरलैंड को 160 रन से हराया
SEMI FINAL MATCH (सेमीफाइनल मैैच)
IND Vs NZ Semifinal-I भारत ने न्यूजीलैंड को 70 रन से हराया
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